दिल्ली के मुनीरका गाँव में नेपाली प्रवासियों का एक झुण्ड एक पार्क में धूप सेंक रहा है. सबको नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की भारत यात्रा को लेकर काफी उत्सुकता है.
शुक्रवार को भारत पहुंचे ओली के दौरे को लेकर उत्सुकता इसलिए भी, क्योंकि पिछले चंद महीनों में दोनों देशों के बीच के संबंध सबसे ख़राब दौर से गुज़रे हैं.
हालांकि जानकारों को उनके इस दौरे से ज़्यादा उम्मीदें नहीं है, और खुद ओली पर भी कोई बड़ा फैसला न लेने का दबाव है.
नेपाल का नया संविधान, तराई के इलाक़े में मधेशियों का हिंसक आंदोलन और उससे उपजे हालात ने नेपाल के लोगों की मानो कमर ही तोड़ दी हो क्योंकि भारत से सप्लाई होने वाले पेट्रोलियम पदार्थ, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आवागमन महीनों पूरी तरह से ठप्प पड़ा रहा.
नेपाल भारत पर आर्थिक नाकेबंदी का आरोप लगाता रहा जबकि भारत इन आरोपों से इंकार करता रहा.
हाल ही में नाकेबंदी ख़त्म तो हुई मगर जानकारों को लगता है कि नेपाल की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटने में अभी काफी वक़्त लगेगा.
Image captionशानो अपना इलाज कराने भारत आई थीं
मुनीरका गाँव में ही मेरी मुलाक़ात 65 वर्षीय शानो से हुई, जिन्हें गुर्दे में पथरी हो गई है और उन्हें इलाज के लिए भारत आने में काफी पापड़ बेलने पड़े.
शानो का कहना था की उन्हें इलाज के लिए दिल्ली आने के लिए दो महीने का इंतज़ार करना पड़ा. नाकेबंदी ख़त्म तो हो गई मगर उन्हें दिल्ली तक पहुँचने में आठ दिनों का वक़्त लग गया.
वो कहती हैं, "क्या करें, कोई साधन ही नहीं था. बसें नहीं चल रही हैं. तेल इतना महंगा कि गाड़ियां नहीं चल पा रही हैं."
बीर बहादुर का कहना है वो तीस सालों से भी ज़्यादा से भारत में रह रहे हैं जबकि उनके परिवार के बाक़ी लोग नेपाल में रहते हैं. वो कहते हैं उन्होंने दोनों देशों के बीच ऐसे बुरे हालात पहले कभी नहीं देखे.
टून बहादुर की कहानी शानो से अलग है. वो नाकेबंदी से पहले ही इलाज कराने आए थे और यहाँ फँस गए. 70 साल से भी ज़्यादा की उम्र वाले टून बहादुर अपने रिश्तेदारों पर एक तरह से बोझ बन गए हैं.
Image copyrightPTIImage captionनेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली के भारत पहुंचने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उनकी आगवानी की.
वो कहते हैं, "मुझे खुशी है अब मैं अपने गाँव लौट सकता हूँ."
इस मोहल्ले के रहने वाले कई प्रवासियों का कहना है कि 2005 के बाद से ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता आई है जब राजा को अपदस्थ कर जनतंत्र क़ायम किया गया. वो मानते हैं कि राजनीतिक दल ठहराव नहीं ला पा रहे हैं.
सेना से रिटायर हुए शेर बहादुर छेत्री को उम्मीद है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के दौरे से हालात सुधर सकते हैं क्योंकि दोनों प्रधानमंत्री नए हैं. इसलिए वो नाउम्मीद नहीं हैं.
वहीं प्रवासी नेपालियों के संगठन नेपाल एकता समाज के अध्यक्ष लक्ष्मण पंत भी मानते हैं कि राजतंत्र के ख़त्म होने बाद से ही नेपाल की मुश्किलें बढ़ी हैं.
उनका आरोप है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि जो भी सरकारें नेपाल में बनी हैं उन पर भारत ने हमेशा अपना दबाव बनाए रखा.
Image captionटून बहादुर का कहना है कि वो रिश्तेदारों पर बोझ बन गए हैं
नेपाल के पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे दीपक ज्ञावली कहते हैं कि प्रधानमंत्री ओली के भारत दौरे से बहुत उम्मीदें लगाना बेमानी है क्योंकि उनके दौरे से एक दिन पहले ही उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने उन्हें किसी भी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने का सुझाव दिया है.
ज्ञावली का कहना है कि सिर्फ एक ही दौरे से सभी मुद्दों का समाधान हो जाएगा, ऐसा नहीं है.
"इस दौरे से सत्तारूढ़ दल के लोग ही सशंकित हैं. क्योंकि उन्हें लग रहा है कि एक कमज़ोर प्रधानमंत्री अगर समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे तो बाद में कहीं मुसीबत खड़ी ना हो जाए."
Image copyrightbikash karkiImage captionओली ने हाल में ही नेपाल का प्रधानमंत्री पद संभाला है
वो कहते हैं कि इस दौरे में अगर दोनों देशों के बीच मनमुटाव की जड़ को निशानदेही कर उसका समाधान निकाल लिया जाता है तो यही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.
मगर भारत को उम्मीद है कि ओली की यात्रा से कई मुद्दों पर बातचीत संभव हो पाएगी और दोनों देशों के बीच संबंध पहले से ज़्यादा मज़बूत होंगे.
अक्टूबर 2011 में पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई के बाद कोई नेपाली प्रधानमंत्री पहली बार सरकारी दौरे पर भारत आ रहा है.
मौका छोपी रक्सी र सुन्तला लुट्नेहरू थुना बाट भकाभक छुट्न थाले
NOTE: The opinions
here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com.
It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address
if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be
handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it.
- Thanks.